भारत के राष्ट्रीय प्रतीक
भारत के राष्ट्रीय प्रतीक देश की छवि का प्रतिबिंब होते हैं और उन्हें बहुत ध्यान से चुना जाता है। राष्ट्रीय पशु बाघ शक्ति का प्रतीक है। राष्ट्रीय फूल कमल पवित्रता का प्रतीक है। राष्ट्रीय वृक्ष बरगद अमरता का प्रतीक है। राष्ट्रीय पक्षी मोर शिष्टता का प्रतीक है और राष्ट्रीय फल आम भारत की ट्रॅापिकल जलवायु का प्रतीक है। हमारा राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। भारत के राष्ट्रीय प्रतीक में एकदूसरे से पीठ के बल जुड़े चार शेर शक्ति, साहस, गर्व और विश्वास का प्रतीक हैं। भारत का राष्ट्रीय खेल चुने जाने के समय हाॅकी अपने चरम पर था। भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में कुछ अन्य जानकारी :
राष्ट्रीय ध्वज
बराबर अनुपात के तीन रंगों की पट्टी में विभाजित आयताकार क्षैतिज भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है। सबसे ऊपरी पट्टी गहरे केसरिया रंग (हिम्मत को प्रदर्शित करता है) का है, बीच मे सफेद रंग (शुद्धता को दिखाता है) है और सबसे नीचे की हरी पट्टी (उर्वरता को दिखाता है)। बीच की सफेद पट्टी में एक नौसैनिक नीला चक्र है (जिसे धर्म चक्र या कानून का पहिया भी कहते है) जिसके केन्द्र में 24 तिलीयाँ है। इसको अशोक चक्र कहते है। स्वराज ध्वज के आधार पर पिंगाली वैंकैया द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को तैयार किया गया, इसे तिरंगा भी कहते है । 22 जुलाई 1947 के एक मीटिंग में संवैधानिक सभा द्वारा भारत के प्रभुत्व के सरकारी ध्वज के रुप में आधिकारिक तौर पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरुप को स्वीकार किया गया था ।
राष्ट्रीय प्रतीक
सारनाथ का अशोक का सिंह स्तंभ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। इसमें चार एशियाई शेर एक गोलाकार एबेकस पर पीठ की ओर से जुड़े हैं। एबेकस पर हाथी, घोड़े, बैल और शेर की प्रतिमाएं हैं। इनके बीच में बने पहिये इन्हें अलग करते हैं। भारत का राष्ट्रीय प्रतीक एक खुले हुए उल्टे कमल पर खड़ा है।
राष्ट्रीय गान
भारत का राष्ट्रीय गान रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा मूलतः बंगाली में रचे गए गान का हिन्दी संस्करण है । 24 जनवरी 1950 में इसे भारत के राष्ट्रीय गान के तौर पर अपनाया गया। समाज के गैर-हिंदू वर्ग द्वारा ‘वंदे मातरम्’ का विरोध करने के बाद जन गण मन को भारत का राष्ट्रीय गान बनाया गया।
राष्ट्रीय गीत
बंकिमचंद्र चटर्जी ने संस्कृत में रचा था। इस राष्ट्रीय गीत ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरणा दी है। शुरुआत में वंदे मातरम भारत का राष्ट्रीय गान था पर आजादी के बाद जन गण मन को भारत का राष्ट्रीय गान बनाया गया। ऐसा करने का कारण यह था कि भारत के गैर-हिंदू समुदाय को ‘वंदे मातरम्’ पक्षपाती लगता था। उन्हें लगता था कि इस गाने में देश को ‘मां दुर्गा’ के रुप में प्रस्तुत किया गया है। इसलिए इसे राष्ट्रीय गान नहीं राष्ट्रीय गीत बनाया गया।
राष्ट्रीय पक्षी
सन् 1963 में मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया था क्योंकि यह पूरी तरह से भारतीय संस्कृति और परंपरा का हिस्सा था। मोर शिष्टता और सुंदरता का प्रतीक है। मोर को राष्ट्रीय पक्षी चुने जाने का एक कारण इसका पूरे देश में पाया जाना भी है। हर आम व्यक्ति इस पक्षी से परिचित है। इसके अलावा मोर किसी और देश का राष्ट्रीय पक्षी नहीं है। इन्हीं सब कारणों के चलते मोर को राष्ट्रीय पक्षी बनाया गया ।
राष्ट्रीय पशु
बाघ को जंगल का राजा कहा जाता है और यह भारत के समृद्ध वन्य जीवन को दर्शाता है। शक्ति और फुर्ती बाघ के बुनियादी पहलू हैं। भारत में बाघों को बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर शुरु किया गया और सन् 1973 में बंगाल टाइगर को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया। इससे पहले शेर भारत का राष्ट्रीय पशु था।
राष्ट्रीय फूल
भारतीय पौराणिक कथाओं में कमल का बहुत महत्व है। यह देवी लक्ष्मी का फूल होने के साथ साथ धन, वैभव और उर्वरता का प्रतीक है। इसके अलावा यह आश्चर्यजनक तौर पर गंदे पानी में उगता है। इसके लंबे डंठल के शीर्ष पर फूल लगा रहता है। कमल का फूल अशुद्धता से अछूता रहता है। यह पवित्रता, उपलब्धि, लंबे जीवन और अच्छे भाग्य का प्रतीक है।
राष्ट्रीय फल
आम मूलतः भारत का है और पूरी तरह से देशी है। आम प्राचीन काल से भारत में उगता आया है। प्राचीन समय से ही आम की स्वादिष्टता पर कई प्रसिद्ध कवियों ने रचनाएं लिखी हैं। दरभंगा में लाखी बाग में मुगल राजा अकबर ने आम के एक लाख पेड़ लगवाए थे।
राष्ट्रीय खेल
भारत में क्रिकेट के बहुत लोकप्रिय होने के बावजूद हाॅकी अब भी भारत का राष्ट्रीय खेल है। भारत का राष्ट्रीय खेल चुने जाने के समय हाॅकी बहुत लोकप्रिय था। सन् 1928-1956 के बीच हाॅकी ने स्वर्णिम युग देखा और भारत ने ओलंपिक में लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते थे। हाॅकी को भारत का राष्ट्रीय खेल चुने जाने के समय इसमें बेजोड़ और अतुलनीय प्रतिभाएं थीं। उस समय तक भारत ने 24 ओलंपिक मैच खेले थे और सभी जीते थे ।
राष्ट्रीय वृक्ष
बरगद का पेड़ अपनी हमेशा फैलते रहने वाली शाखाओं के कारण अमरता का प्रतीक है। भारत की एकता इस पेड़ के विशाल और गहरी जड़ों से प्रतिबिंबित होती है। इस पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है जिसका अर्थ इच्छाएं पूरी करने वाला वृक्ष होता है। बरगद के पेड़ में अपार औषधीय गुण होते हैं और यह लंबी उम्र से संबद्ध है। बरगद का पेड़ विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों को आश्रय देता है जो भारत और उसमें रहने वाले विभिन्न धर्मों, जातियों और नस्लों का प्रतीक है।