क्रिसमस क्या है ? और क्यों मनाते है ?
वैश्वीकरण होने से विश्व के समस्त देशों को ना केवल आर्थिक रुप से लाभ हुआ है, बल्कि सभी देशों के लोगों के बीच सामाजिक सौहार्द, प्रेम और भाईचारे की भावना को भी बढ़ावा मिला है । इसका एक बहुत ही अच्छा उदाहरण है यहां पर प्रस्तुत है । कुछ त्यौहार जिन्हें पहले किसी धर्म के लोगों के अनुयायियों द्वारा या किसी एक देश में मनाए जाते थे । वैश्वीकरण के पश्चात, वह पूरे विश्व में प्रत्येक देश के निवासियों द्वारा मनाए जाने लगे हैं । इसी कारण से सभी त्योहारों ने सार्वभौमिक उत्सव का रुप ले लिया है । क्रिसमस भी इसी प्रकार का त्योहार है । वैसे तो ईसाइयों के सबसे महत्वपूर्ण उत्सव के रूप में माना जाता है । लेकिन वैश्वीकरण के पश्चात, अब पूरे विश्व में सभी देशों में तथा अन्य धर्मों के अनुयायियों द्वारा भी बड़ी धूमधाम से मनाते हुए देखते हैं ।
क्रिसमस क्या है ?
क्रिसमस शब्द क्राइस्ट मास अथवा क्राइस्ट माइसे शब्द से उद्घृत हुआ है । जीसस क्राइस्ट का अर्थ है जीसस क्राइस्ट का जन्म उत्सव । क्रिसमस को प्रत्येक वर्ष हर साल दिसंबर की 25 तारीख को ईसा मसीह अर्थात जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के उपलक्ष्य में त्यौहार स्वरूप मनाया जाता है । इसे बड़ा दिन के नाम से भी पुकारा जाता है ।
क्रिसमस क्यों मनाते है ?
ईसाइयों की मान्यता के अनुसार पहली बार क्रिसमस रोम में 336 ईसवी में मनाया गया था । ईसाईयों के धार्मिक ग्रंथ न्यू टेस्टामेंट में क्रिसमस से संबंधित एक कथा वर्णित है । कथा इस प्रकार है कि प्रभु ने मरियम नाम की एक कुंवारी लड़की के पास अपना देवदूत भेजा । जिसका नाम गैब्रियल था, वह एक देवदूत था । गैब्रियल ने मरियम को संदेश दिया कि वह ईश्वर के पुत्र को जन्म देगी । जिसका नाम जीसस रखा जाएगा । जीसस बड़ा होकर के एक राजा बनेगा लेकिन उसके राज्य की कोई सीमा ही नहीं होगी । देवदूत गेब्रियल जोसेफ के पास भी गया और उसने जोसेफ को बताया कि मरियम एक बच्चे को जन्म देगी । उसे सलाह भी दिया कि वह मरियम का परित्याग ना करें और उसकी देखभाल करे । कुछ समय पश्चात राजा के आदेशानुसार, देश के सभी नागरिकों को अपने मूल स्थान पर जाना था । वहां पर होने वाले जनगणना में शामिल होने के लिए । उसी समय एक रात जोसेफ और मरियम, नाजरथ से बेथलेहम के लिए रवाना हो गया । जब वह रास्ते में थे मौसम बहुत खराब हो गया और तूफानी हवाओं के कारण उन दोनों ने एक अस्तबल में रात बिताने के लिए शरण ली । इसी जगह आधी रात को मरियम ने जीसस क्राइस्ट को जन्म दिया । यह दिन 25 दिसंबर था । जीसस क्राइस्ट के जन्म के उपलक्ष्य में उनकी स्मृति स्वरूप प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस नाम से त्यौहार मनाया जाने लगा ।
क्रिसमस कैसे मनाते है ?
सभी त्योहारों की भांति, लोग क्रिसमस त्यौहार की तैयारी भी बड़ी धूमधाम से जोश के साथ करते हैं । सभी लोग अपने घर की अच्छी तरह साफ सफाई करते हैं तथा बच्चों के लिए अच्छे और नए कपड़े सिलवाते और घर को सजाते हैं । जैसे कि ऊपर वर्णित है जीसस क्राइस्ट अर्थात यीशु मसीह का जन्म आधी रात को हुआ था । इसलिए क्रिसमस के त्यौहार को भी आधी रात के बाद ही प्रारंभ करते हैं । लोग अपने घरों में और चर्च में मोमबत्तियां जलाकर ईसा मसीह और उनकी माता मरियम की सामूहिक रूप से पूजा करते हैं । उसके पश्चात ईसा मसीह की प्रशंसा में लोग एक सामूहिक गीत जिसे कैरोल कहते हैं, गाते हैं । लोगों के घर-घर जाकर भी ईसा मसीह का शुभ संदेश देते हैं । आने वाले नूतन वर्ष की शुभकामनाओं का संदेश गाने के रुप में गाते हैं । क्रिसमस के त्योहार पर 'जिंगल बेल जिंगल बेल जिंगल ऑल द बेल' नामक गीत गाते हैं जो की बहुत प्रचलित गीत है ।
जब क्रिसमस की बात आती है तो एक मोटे और वृद्ध, सफेद दाढ़ी, बाल और सफेद-लाल रंग के सुंदर वस्त्र पहने हुए सेंटा क्लॉज की याद आती है । सेंटा क्लाज अपने प्रिय वाहन रेंडियर पर सवार होकर आते हैं । क्रिसमस के दिन हर बच्चा सैंटा क्लॉज नाम के इसी पात्र का इंतजार बेसब्री से करते हैं । सेंटा क्लाज ईसाईयों के लिए एक पौराणिक पात्र है । जो नूतन वर्ष के आगमन के पूर्व क्रिसमस त्योहार की रात को बच्चों के लिए खूब ढ़ेर सारी मिठाइयां और उपहार लेकर आता है और प्रदान करता है । इसीलिए बहुत सारे लोग क्रिसमस के अवसर पर सेंटा क्लाज बनकर बच्चों को खुशी देने के लिए और नव वर्ष की शुभकामना देने के लिए मिठाई और बांटते हैं ।
क्रिसमस त्योहार के अवसर पर लोग अपने घर को और घर के आंगन को सजाते हैं । घर के आंगन में क्रिसमस ट्री नाम का एक पेड़ लगाकर उसे सजाते हैं । ईसाई मान्यता के अनुसार क्रिसमस ट्री एक प्रसिद्ध पेड़ है और समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है । इस दिन विभिन्न जगह पर विभिन्न प्रकार से मनोरंजक कार्यक्रमों के द्वारा क्रिसमस को मनाने की प्रथा है ।
भारत में इसाई धर्म और क्रिसमस:
भारत में लगभग 3 करोड़ से अधिक इसाई धर्म को मानने वाले हैं । इसलिए, हमारे देश में भी क्रिसमस को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है क्रिसमस । भारत में एक विशेषता देखने को मिलती है, यहां पर सभी त्योहारों को लोग मिल जुल कर मनाते हैं । इसलिए क्रिसमस केवल ईसाईयों का ही त्यौहार नहीं रह गया, बल्कि ईसाई धर्म के अनुयायियों के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी क्रिसमस को धूमधाम से मनाते हैं । जिस प्रकार से वैशाखी, दिवाली, होली, ईद इत्यादि त्योहारों पर भारत के बाजारों में धूम धाम दिखती है । उसी प्रकार क्रिसमस के कुछ दिन पहले से ही बाजारों में खूब चहल-कदमी दिखती हैं । भारत के अन्य शहरों से अधिक क्रिसमस की धूम गोवा शहर में देखने को मिलती है ।
क्रिसमस का संदेश - वैश्विक प्रेम, सदभावना और भाई चारा :
क्रिसमस का उत्सव, विश्व के समस्त देशों और सभी धर्मों के लोगों के लिए मानवता, परोपकार, प्रेम और भाईचारा का पावन संदेश देता है । इसी दिन ईसा मसीह ने पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने अत्यंत अल्प जीवन काल में मानव कल्याण के लिए सहनशीलता एवं सदाचरण का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया था । सभी को भाईचारे और प्रेम का संदेश दिया था । क्रिसमस का उत्सव समृद्धि, सुख और शांति का सूचक माना जाता है । ईसा मसीह ने कहा था - ईश्वर सभी व्यक्तियों से प्रेम करता है, इस भरे जीवन में हमें ईश्वर की सेवा करनी चाहिए और सभी लोगों से प्रेम करना चाहिए । ईश्वर की सेवा का मार्ग अपनाकर दीन दुखियों की सहायता करनी चाहिए । क्रिसमस का उत्सव हमें यही संदेश देता है । अतः इस पावन संदेश को सार्थक बनाने के लिए हम सभी को अपने व्यवहारिक जीवन में ईसा मसीह के संदेशों का पालन करना चाहिए । एक दूसरे के साथ सहयोग और प्रेम की भावना से व्यवहार करना चाहिए ।